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मंगलवार, 23 जुलाई 2013

कवि जहां से देखता है, दरअसल, वह वहीं रहता है

आपके टिकने की जगह या 'पोजीशन' का सवाल, लेखन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। फ़र्ज़ कीजिए, हम पांच कवियों को एक गुलाब या एक लाश देते हैं और उस पर लिखने के लिए कहते हैं। जिस 'पोजीशन' से वे उस पर लिखेंगे, वही 'पोजीशन' उन्हें एक-दूसरे से अलग करेगी। कुछ लोग इसे 'एक लेखक द्वारा अपनी आवाज़ पा लेना' कहते हैं। अपनी पोजीशन पाने में बहुत समय लगता है और मेरा मानना है कि लेखन में यही बुनियादी चुनौती भी है। एक बार आपने अपनी पोजीशन पा ली, लेखन अपने आप खुलने लगता है, हालांकि उस समय नई चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। मेरी कविताओं के मामले में बेचैनी यही थी कि इस दहलीज़ वाली पोजीशन से अरबी भाषा में कविता कैसे लिखी जाए।
आज मैं इस पूरी यात्रा का वर्णन कर पा रही हूं, लेकिन उस समय तो मैं उस बेचैनी को साधारण तौर पर निराशा ही मान लेती थी।
-ईमान मर्सल

यहां प्रस्‍तु‍त हैं ईमान की दो कविताएं

महीन रेखा

अधेड़ उम्र की एक औरत पागलों की तरह अपने प्रेमी की क़मीज़ें फाड़ती है
वह उन पर अपने आंसुओं को ख़ारिज करती है कैंचियों के ज़रिए, फिर नाख़ूनों से
फिर नाख़ूनों और दांतों के ज़रिए
मेरी कुंआरी बुआ ऐसे दृश्य पर रोया करती थी पिछली सदी में, जबकि मैं
ऊबकर उसके ख़त्म हो जाने का इंतज़ार करती थी,
मुझे रुला देते हैं अब ऐसे दृश्य.
कैंचियों, नाख़ूनों और दांतों से एक स्त्री
एक अनुपस्थित देह का पीछा करती है
उसे चबाकर, उसे निगलकर.
कुछ भी नहीं बदला है. नायिकाएं हमेशा दुख पाती हैं परदे पर,
लेकिन उत्तरी अमेरिका में आर्द्रता का स्तर हमेशा कम रहता है
सो, आंसू बहुत जल्दी सूख जाते हैं.
* * *

तुमने हवास खो दिए

मैं अपने बाल पीछे बांध लेती हूं
उस लड़की जैसा दिखने की कोशिश करती हूं
जिसे एक समय तुम बहुत लाड़ करते थे.
बरसों, घर लौटने से पहले
मैं बीयर से धोती थी अपना मुंह.
तुम्हारी मौजूदगी में मैंने कभी ख़ुदा का जि़क्र तक न किया.
ऐसा कुछ नहीं तो तुम्हारी माफ़ी के क़ाबिल हो.
तुम बहुत दयालु हो, लेकिन निश्चित ही उस समय तुमने अपने हवास खो दिए होंगे
जब तुमने मुझे यह यक़ीन दिला दिया था
कि ये दुनिया एक गर्ल्‍स स्कूल की तरह है
और टीचर की लाडली बनी रहने के लिए
मुझे अपनी इच्छाओं को एक किनारे रखना होगा.
अनुवाद: गीत चतुर्वेदी


ईमान मर्सल
30 नवंबर 1966 को जन्मी ईमान मर्सल अरबी की सर्वश्रेष्ठ युवा कवियों में से एक मानी जाती हैं। अरबी में उनके चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और चुनी हुई कविताओं का एक संग्रह, ख़ालेद मत्तावा के अनुवाद में, 'दीज़ आर नॉट ऑरेंजेस, माय लव' शीर्षक से 2008 में शीप मेडो प्रेस से अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुआ। अरबी साहित्य में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद ईमान ने बरसों काहिरा में साहित्यिक-सांस्कृतिक पत्रिकाओं का संपादन किया। 1998 में वह अमेरिका चली गईं और फिर कनाडा। अंग्रेज़ी के अलावा फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, हिब्रू, स्पैनिश और डच में उनकी कविताओं का अनुवाद हो चुका है। उन्होंने दुनिया-भर में साहित्यिक समारोहों में शिरकत की है और कविता-पाठ किया है। वह एडमॉन्टन, कनाडा में रहती हैं और अलबर्टा यूनिवर्सिटी में अरबी साहित्य पढ़ाती हैं।